ये जीत-हार तो इस दौर का मुक्द्दर है
ये दौर जो के पुराना नही...नया भी नहीं
ये दौर जो सज़ा भी नही...जज़ा भी नहीं
ये दौर जिसका बा-जहिर कोइ खुदा भी नहीं
तुम्हारी जीत अहम है..ना मेरी हार अहम
के इब्तिदा भी नहीं है..ये इन्तेहा भी नहीं
शुरु मारका-ए-जान ..अभी हुआ भी नहीं
शुरु तो ये हंगाम-ए-फ़ैसला भी नहीं
battle for life; hangaam-e-faisila :
commotion before the verdict)
पयाम ज़ेर-ए-लब अब तक है सूर-ए-इसराफ़ील
सुना किसी ने किसी ने अभी सुना भी नहीं
किया किसी ने किसी ने यकीं किया भी नहीं
उठा जमीं से कोई, कोई उठा भी नहीं
Suur-e-Israafiil : According to
Islamic theology, Israafil is one
of the angels who would call the
dead to life on the day of judgment
of the angels who would call the
dead to life on the day of judgment
by sounding a loud alarm. It is
believed that everyone would get
up from their graves and elsewhere
after hearing this alarm.)
believed that everyone would get
up from their graves and elsewhere
after hearing this alarm.)
कदम कदम पर दिया है रहज़नों ने फ़रेब
के अब निगाह मे तौकीर-ए-रहनुमा भी नहीं
उसे समझते है मंजिल जो रास्ता भी नहीं
वहाँ लगाते हैं डेरा जहाँ वफ़ा भी नही
tauqiir-e-rahnuma : respect for
the leader)
के अजनबी भी नहीं कोई आशना भी नहीं
किसी से खुश भी नहीं कोई खफ़ा भी नहीं
किसी का हाल मुड़ कर कोइ पूछता भी नहीं
--Kaifi Azmi